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गुना नगर निगम की राह में रोड़ा बन सकती है हरिपुर पंचायत?

गुना। गुना विधायक पन्नालाल शाक्य ने अपने कार्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में एक अहम मुद्दे को उठाते हुए कहा कि हरिपुर ग्राम पंचायत को नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में जिला कलेक्टर को एक पत्र भी सौंपा है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हरिपुर पंचायत के सरपंच की असहमति के आधार पर प्रशासन ग्राम को नगर निगम से बाहर रखता है, तो वे स्वयं गुना को नगर निगम बनाए जाने का विरोध करेंगे।


विधायक शाक्य ने पत्र में लिखा है कि यदि हरिपुर जैसे गुना से सटे और विकास के लिए उपयुक्त ग्राम को सिर्फ सरपंच की असहमति के कारण नगर निगम में शामिल नहीं किया गया, तो यह प्रशासन की नाकामी मानी जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ऐसी स्थिति बनी और गुना को नगर निगम बनने से रोका गया, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। विधायक का यह बयान न सिर्फ प्रशासन पर दबाव बनाने वाला है, बल्कि यह आने वाले समय में गुना के शहरी विकास की दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। नगर निगम बनने की प्रक्रिया में अब यह मुद्दा एक बड़ी बाधा बनता दिख रहा है।


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प्रेसवार्ता में जताई नाराजगी, बोले- चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अनदेखी, जनता के साथ अन्याय

गुना। गुना को नगर निगम बनाए जाने की प्रक्रिया अब विवादों में घिरती नजर आ रही है। इस पूरे मुद्दे पर विधायक पन्नालाल शाक्य ने प्रशासन और रसूखदारों के खिलाफ सख्त तेवर अपनाते हुए स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि हरिपुर ग्राम पंचायत को प्रस्तावित नगर निगम क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया, तो वे गुना को नगर निगम बनाए जाने का खुलकर विरोध करेंगे।

मंगलवार को अपने कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में विधायक शाक्य ने कहा कि हरिपुर गांव गुना से सटा हुआ है और वहां एफडीडीआई जैसे बड़े संस्थान की स्थापना सरकार ने की थी, लेकिन आज वह उपेक्षा का शिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोग निजी स्वार्थों की वजह से हरिपुर को नगर निगम में शामिल नहीं होने देना चाहते।

“दो लाख से अधिक की आबादी के निर्वाचित प्रतिनिधि की बात अनसुनी कर, एक सरपंच की असहमति पर निर्णय लेना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।” — पन्नालाल शाक्य

विधायक ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद जिले के 36 गांवों को नगर निगम में शामिल करने की सहमति बनी थी, जिसमें हरिपुर भी शामिल था। उस समय तैयार नक्शे को खुद कलेक्टर ने बेहतर बताया था। अब हरिपुर को हटाने की चर्चाएं प्रशासनिक पक्षपात और जनविकास के साथ खुलेआम अन्याय हैं।

"मैं चुप नहीं बैठूंगा, जनहित में दिल्ली तक लड़ाई लडूंगा"

शाक्य ने कहा कि वह किसी निजी लाभ के लिए नहीं लड़ रहे हैं।

“मेरे पास न ज़मीन है, न व्यक्तिगत स्वार्थ। मैं अपने पैतृक गांव में रहता हूं। लेकिन यदि जनता के साथ अन्याय होगा, तो दिल्ली तक जाकर आवाज उठाऊंगा।”

प्रशासनिक उपेक्षा और वर्गभेद के आरोप

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कई विकास प्रस्ताव दिए, जैसे विवेक कॉलोनी से बायपास तक पुल निर्माण, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

“हम आरक्षित वर्ग से आते हैं, शायद इसलिए हमारी बातों को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि न चुने गए लोगों की बात तुरन्त मान ली जाती है।”

प्रेसवार्ता के अंत में विधायक ने दोहराया कि यदि प्रशासन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करता रहा, तो वे अपनी ही सरकार के सामने भी कड़े शब्दों में अपनी बात रखेंगे।

"मैं अपनी सरकार से नहीं लड़ रहा, लेकिन व्यवस्था की खामियों को जरूर उजागर करूंगा।"

इस प्रेसवार्ता में भाजपा के मीडिया प्रभारी विकास जैन समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।



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