33 साल बाद घर वापसी: बंधुआ मजदूरी से मुक्ति के बाद अपनों से मिले श्री रतन मेघवाल, आंखों में आंसू और दिलों में उम्मीद जगा गया ये पल
गुना, 24 मई 2025
बीनागंज के जयसिंहपुर से जिला प्रशासन द्वारा मुक्त कराए गए 16 बंधुआ मजदूरों में शामिल श्री रतन मेघवाल अब अपने परिवार के साथ हैं। एक वक्त था जब उनका नाम सिर्फ लापता सूची में था, लेकिन आज उनकी वापसी एक संवेदनशील प्रशासन, जागरूक समाजसेवियों और इंसानियत की जीत का प्रमाण बन चुकी है।
शिवपुरी के "अपना घर आश्रम" में जब रतन मेघवाल को भेजा गया, तब उन्हें अपने अतीत की कुछ भी याद नहीं थी। लेकिन आश्रम के स्नेहिल वातावरण और सतत काउंसलिंग से धीरे-धीरे उनकी स्मृतियाँ लौटने लगीं — उन्हें अपना गांव, अपने लोग और वह अधूरा बचपन याद आने लगा जिसे वह जी नहीं पाए थे।
जैसे ही यह खबर समाजसेवी श्री प्रमोद भार्गव को मिली, उन्होंने इसे तत्काल कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल तक पहुंचाया। प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उनके परिवार से संपर्क स्थापित किया।
और फिर आया वो पल, जिसने सभी की आंखें नम कर दीं —
जब 33 वर्षों से बिछड़ा भतीजा अपने चाचा को लेने पहुंचा, तो कलेक्टर स्वयं मौजूद रहे। रतन मेघवाल को माला पहनाकर सम्मानित किया गया। यह सिर्फ एक पुनर्मिलन नहीं था, यह एक संदेश था – हर खोया हुआ इंसान, अगर सही प्रयास हों, तो वापस पाया जा सकता है।
कलेक्टर श्री कन्याल ने कहा:
“यह दिन सिर्फ रतन जी का नहीं, पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने जो सहा, वह हम सभी के लिए चेतावनी है — और जो उन्हें मिला, वह हम सबके सहयोग का फल है।”
रतन के भतीजे ने बताया कि वह 1992 से लापता थे और दिल्ली में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज थी। पूरे परिवार ने वर्षों तक आशा नहीं छोड़ी — और आज वह आशा जीत गई।
इस अद्भुत पुनर्मिलन के पीछे वरदान सेवा समिति की भी अहम भूमिका रही, जो तीन वर्षों से प्रशासन के साथ मिलकर बंधुआ मजदूरी के खिलाफ काम कर रही है।
इस कहानी ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि प्रशासन, समाज और सेवा संगठनों का मन हो, तो कोई भी व्यक्ति खोया नहीं रहता — वह सिर्फ ढूंढा जाना चाहता है।
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